बीकानेर में पुलिस की गलत जांच के कारण एक निर्दोष व्यक्ति को 75 दिन तक जेल में रहना पड़ा। अदालत ने उसे रिहा करने के आदेश दिए हैं और साथ ही पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए संबंधित आईओ और एसएचओ की जांच के निर्देश दिए हैं। सरकार को पीड़ित को दो लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। Bikaner रेंज के चूरू जिले के तारानगर थाना के एक मामले में पुलिस की गलत जांच के चलते एक नेत्रहीन युवक को 75 दिन तक जेल में रहना पड़ा।
कोर्ट ने इस गंभीर लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए युवक की तत्काल रिहाई के आदेश दिए हैं। साथ ही सरकार को पीड़ित को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया है।
यह था मामला
यह मामला रंजिश के चलते झूठे मुकदमे में फंसाने से जुड़ा है,14 मार्च 25 को हरिसिंह की और से भतीजे विनोद के साथ मारपीट का परिवाद दिया गया था। इस मामले में पुलिस सिद्धमुख निवासी अमीचंद को 25 अप्रेल को गिरफ़्तार किया था। जहां पुलिस ने बिना पर्याप्त सबूतों के नेत्रहीन युवक को गिरफ्तार कर लिया था।
अदालत ने इसे मानवाधिकार हनन मानते हुए पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। साथ ही मामले की जांच के लिए आईओ और एसएचओ की भूमिका की गहन समीक्षा करने को कहा गया है।
यह घटना Bikaner पुलिस की जांच प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करती है और साथ ही यह भी दर्शाती है कि समय पर न्यायिक हस्तक्षेप से एक निर्दोष को न्याय मिल सकता है। अब इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होगी और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई संभव है।